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Vahini la zavalo - marathi Hindi sex kahani

Vahini la zavalo - marathi Hindi sex kahani Mai jab bhiBhaiya ke gharjata hu to mujhe, hamesh se hi vahini ko dekhkar use chodane ki ichchyahoti hai. Uska sunder sa chehare ko dekh kar na jane maine kitne barmuthth mari hai. Par use nahi chod paya. Sadi ke baad se hi Bhaiyahardam kaam karne ke liye bahar hi rahe hai, [...]

04 Dec 2016 | 0 commentsView Post

Chachi ki pyaas - Hindi sex kahani

Chachi ki pyaas - Hindi sex kahani Hi friends my name is Mr H (Code name) yeh story jo m app ko sonany ja raha hon sachi kahani hay please comment Kr k feedback zaroor dijya ga pehly m apny bary m batata chaloon hight 5.11 hay mery laan ka size 6 inch hay aur age 23 hay m abi parh raha hon ab story ki tarf ata hon[...]

04 Dec 2016 | 2 commentsView Post

Bahen our didi ki eksath chudai

Bahen our didi ki eksath chudai Meri shadi ho chuki hai, meri biwi ka naam hai simran pyar se main use simi bulata hu, simi bahut sexy to nahin pur uske boobs bade mast hai... Size main bhi baade hai, aur us par chote golai wali par nokdar pointed type ki red nipples, jab simi ko sex chadta hai tab nipples ki lamb[...]

04 Dec 2016 | 0 commentsView Post

Chupke Say Behan Ki Chudai Ki

Chupke Say Behan Ki Chudai KiMera naam rohit hai aur punjab mein rehta hun meri umer 20 saal hain jo kahani mein aap sab ko batanay jaa raha hun woh 3 saal pehle ki kahani hain aur meray pariwaar mein 2 bhai, aur ek 18 saal ki behan hai, behan ka naam neetu hain, pita jee ke death ko 5 saal hogaye hai aur hum jaya[...]

04 Dec 2016 | 1 commentsView Post

Neend main bhabi ki chudai

Neend main bhabi ki chudai Hello dosto , meri kahani tab ki hai jab main ba final me tha aur apni bhaya bhabi ke paas delhi main rehtha tha aur bhaiya noida main ek company main kaam karte the,bhabi dekhna main bahut hi sunder hai aur bhaiya se kafi pyaar bhi karthi hai aur main bhi unhe poori izzat deta hoo. Ek[...]

04 Dec 2016 | 1 commentsView Post

ससुर- बहू की मौज -Hindi sexy Storis

ससुर- बहू की मौज -Hindi sexy Storis

 मेरा नाम कौसर है। यह मेरी सच्ची कहानी है। हम शिकारपुर में रहते हैं। हम 3 बहनें हैं, मैं सबसे बड़ी हूँ।
मेरे अब्बू काफ़ी साल पहले गुजर गए थे, तब से माँ ने ही हमारा ख्याल रखा है।
मैंने ग्रेजुएशन 2010 में की थी। मेरा रंग एकदम साफ़ है और मेरा कद 5 फीट है और मेरा फिगर 34-26-36 है।

मेरी छोटी बहन कहती है- दीदी तुम बहुत सेक्सी लगती हो।’
मैं वैसे तो टॉप और जीन्स भी पहनती हूँ और सूट और सलवार भी पहनती हूँ। माँ ने मेरा रिश्ता मेरी ग्रेजुएशन होते ही पक्का कर दिया था, उनका नाम अता-उल्ला है। वे आईटी सेक्टर में काम करते हैं। उनकी कंपनी लाहौर में है, इसलिए वो वहीं रहते हैं और छुट्टियों में ही शिकारपुर आते हैं।
मेरे ससुर जी लड़कियों के सरकारी स्कूल में टीचर हैं और उन्हें फोटोग्राफी का भी शौक है। उन्होंने मुझे देखते ही पसंद कर लिया और बोले- मैं इससे अपनी बेटी की तरह रखूँगा..!
क्योंकि उनकी कोई बेटी नहीं है और अताउल्ला इकलौते हैं।
मुझे देख कर उनकी आँखों में एक चमक थी। तब मैं समझ नहीं पाई कि मुझे देख कर ससुर जी इतना खुश क्यों हैं!

आज सोचती हूँ तो सब समझ आ जाता है और आँखों में आँसू आ जाते हैं।
मेरी शादी काफ़ी धूमधाम से हुई और मैं काफ़ी खुश थी, पर बाद में पता चला कि अताउल्ला केवल 10 दिन के लिए शिकारपुर आए हैं और शादी के बाद 10 दिन में ही लाहौर चले जाएँगे।
मेरा मन उदास हो गया, अताउल्ला 10 दिन बाद लाहौर चले गए और घर पर मैं, सासू माँ और मेरे ससुर जी ही रह गए।

मेरी सासू माँ काफ़ी रूढ़ीवादी किस्म की महिला थीं और मुझे हमेशा पल्लू करने और बड़ों का आदर करने को कहती थीं। वो मुझे हमेशा साड़ी में रखती थीं। मेरा मन जीन्स और टॉप पहनने को करता था पर मन मार कर रह जाती थी।
मेरी सासू माँ की तबीयत ठीक नहीं रहती थी और करीब शादी के एक महीने बाद ही वो गुजर गईं।
अताउल्ला लाहौर से आए करीब 15 दिन घर पर उदास से रहे और फिर लाहौर चले गए।
अब हमारे घर में मैं और मेरे ससुर जी ही रहते थे। दिन भर घर पर मैं अकेली रहती थी। ससुर जी दोपहर को घर आते थे तब कुछ अकेलापन दूर होता था।
पूरे दिन घर का काम करती थी और कभी-कभी ससुर जी के कंप्यूटर पर वेब-ब्राउज़िंग वगैरह कर लेती थी, अताउल्ला का फोन शाम को हर रोज आता था।
इस तरह दिन कट रहे थे।
एक दिन शाम को मैं रसोई में खाना बना रही थी, तो पीछे से ससुर जी आ गए तो मैंने एकदम से पल्लू कर लिया।

ससुर जी बोले- बहू, यह पल्लू अब मत किया कर, यह सब तेरी सासू जी को पसंद था। अब वो ही नहीं रही तो तेरे लिए कोई बंदिश नहीं है। तू जैसे चाहे रह सकती है, मेरे से शरम करने की अब कोई ज़रूरत नहीं है।
उन्होंने रसोई में से पानी लिया और चले गए, मुझे कुछ समझ नहीं आया। पर अच्छा ही था साड़ी में रहते-रहते मैं बोर हो गई थी।
अगले दिन सुबह जब मैंने उन्हें चाय देकर पैर छुए तो उन्होंने आशीर्वाद देने के लिए ब्लाउज पर हाथ फेरते हुए बोले- जीती रह बहू..!
मुझे कुछ अजीब सा लगा। जैसे वो मेरे ब्रा के स्ट्रैप ढूँढ रहे हों।
मैं वहाँ से जाने लगी तो बोले- तुझसे बोला था घूँघट करने की ज़रूरत नहीं.. फिर क्यों किया है?
मैं चुप थी और बोला- चल हटा.. मैं भी देखूँ.. जैसा तुझे देखने गए थे वैसी ही है.. या तू बदल गई है!
उन्होंने मेरा घूँघट खुद ही हटा दिया।
मैंने शरम से आँखें नीची कर लीं और बोली- अब्बू मैं आपका लंच लगा देती हूँ.. आपको स्कूल जाने में देर हो रही होगी..!

मैं जल्दी से वहाँ से जाने लगी।
तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- आज स्कूल की छुट्टी है बहू… बैठ तो सही!
मैं एकदम घबरा गई। उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था।
‘अब्बू मुझे जाने दीजिए.. घर में बहुत काम है..!’
ससुर जी- बहू आज सोच रहा हूँ.. तेरा फोटोशूट ले लूँ.. बहुत दिन हुए मैंने अपनी फोटोग्राफी की कला नहीं दिखाई। तू जल्दी से काम कर ले और आज से घूँघट नहीं करना..!
उन्होंने उठ कर मेरे बाल भी खोल दिए। मैंने आज शिफौन की नेट वाली गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी, जो एकदम मेरे शरीर से चिपकी हुई थी।
ससुर जी- तू बिना घूँघट और खुले बालों के अच्छी लग रही है बहू..!
मैं जल्दी से वहाँ से भाग गई। आज पहली बार उन्होंने मुझे छुआ था, मैंने जल्दी से घर का काम किया और अपने कमरे में सांकल लगा कर के बैठ गई।
करीब 11-30 बजे ससुर जी ने आवाज़ लगाई- बहू, कहाँ है?
मैंने कहा- जी.. बाबू जी.. आई..!
और उनके कमरे में गई तो उन्होंने अपना डिजिटल कैमरा और कंप्यूटर भी ऑन किया हुआ था।
वो बोले- बहू चल तैयार हो जा.. तेरा फोटोशूट लेना है!
मैं अचकचा गई।


ससुर जी- चल आज तेरा सारी स्ट्रिपिंग शूट लेता हूँ..!
मैं घबरा गई, मैंने कहा- मैं कुछ समझी नहीं… बाबूजी?
ससुर जी- कुछ नहीं इसमे तू पहले साड़ी में होगी और फिर धीरे-धीरे स्ट्रिपिंग करनी होगी, मैं तेरा शूट लेता रहूँगा और आखिरी में लिंगरी में शूट करूँगा!
मैंने एकदम सुन्न रह गई- मैं ये सब कुछ नहीं करूँगी बाबूजी, मैं आपकी बहू हूँ… आपके सामने ये सब कैसे कर सकती हूँ?
मैंने एकदम गुस्से में कहा और उनके कमरे से जाने लगी।
तो उन्होंने मेरा साड़ी का पल्लू पकड़ लिया और खींच कर अपने बिस्तर पर गिरा दिया। उन्होंने जल्दी से कमरा अन्दर से बन्द कर दिया।
ससुर जी ने कहा- बहू.. तू भी तो प्यासी रहती है और मैं भी… क्यों ना हम दोनों एक-दूसरे की मदद करें..!
और यह कह कर उन्होंने मेरी साड़ी खींचनी शुरु कर दी, फ़िर मेरे पेटिकोट का नाड़ा खींच दिया।
मैं भी प्यासी थी तो मैंने भी अपने ससुर का कोई खास विरोध नही किया बस थोड़ा बहुत दिखावा किया।
तभी मेरे ससुर ने मेरे ब्लाऊज के हुक खोल कर उसे उतार दिया।
और फ़िर ब्रा और पैन्टी को भी मुझसे अलग कर दिया।
मैं अब अपने ससुर के सामने एकदम नंगी थी। मैंने तो घबराहट के मारे आँखें बंद कर लीं और रोने का ड्रामा करने लगी।


मेरे ससुर ने मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। वो कभी मेरी बाईं चूची को तो कभी दाईं चूची को बड़ी बुरी तरह मसल रहे थे। वो एक ताकतवर मर्द थे।
और तभी मेरे नीचे कुछ चुभने लगा, तो मुझे एहसास हुआ कि उनका लंड बहुत बड़ा है और वो उनके पजामे में एकदम तम्बू की तरह तन गया है।
ससुर जी बोले- वाह बहू… तू तो चूत एकदम साफ़ रखती है!
उन्होंने एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी, मैं दर्द से चीख पड़ी क्योंकि मैंने तो अभी तक अताउल्ला के साथ भी अच्छे से चुदाई नहीं की थी, तो मेरी योनि एकदम तंग थी। फिर उन्होंने अपनी ऊँगली को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैं दर्द के मारे तड़पने लगी।
उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। मैंने अभी भी आँखें बंद कर रखी थीं और अपने होंठ भी एकदम बंद कर रखे थे।


ससुर जी ने मेरी चूचियों को और जोर से मसलना शुरू कर दिया और मैं चिल्लाने लगी।
ससुर जी का कमरा एकदम अन्दर है इसलिए बाहर तक मेरी आवाज़ शायद नहीं जा रही थी। वो अपनी ऊँगली अन्दर-बाहर करते रहे और मैं कहती रही- बाबूजी प्लीज़ ऐसा मत करो… मैं आपकी बहू हूँ..!’
ससुर जी- कौसर बेटा.. तू तो बहुत ही कामुक है… तेरी ये जवानी छोड़ कर अताउल्ला बेकार में बाहर रहता है… बेटा प्लीज़ मेरे साथ सहयोग कर ले… मैं तुझे पूरा मज़ा दूँगा…!
उनकी ये सब बातें सुनना मुझे अच्छा लग रहा था, मेरे शरीर में एक सनसनी होने लगी और अब दर्द भी कम हो गया था। मेरी चिल्लाना अब सिसकारियों में बदल गया और मुझे अब उनकी ऊँगली अन्दर-बाहर करना अच्छा लग रहा था।

तभी उन्होंने अपना पजामा उतार दिया और मुझे अपनी चूत पर कुछ गरम-गरम सा लगा!
या अल्लाह.. ये ससुर जी क्या कर रहे थे…! वो मेरी चूत में अपना लंड डालने वाले थे।
मैं छटपटाने लगी और तभी उन्होंने एक हल्का धक्का दिया और उनका करीब 2½ इंच लंड मेरी चूत में घुस चुका था, मेरी जान निकलने लगी।
उनका लौड़ा अताउल्ला से भी मोटा था। करीब 2½ इंच मोटा और तभी उन्होंने एक और धक्का दिया और मुझे लगा कि किसी ने गरम लोहे की छड़ मेरी चूत में पेल दी हो।
करीब 7 इंच लंबा और 2½ इंच मोटा लंड मेरी चूत में था और अब मुझसे दर्द सहन नहीं हो रहा था। उन्होंने अपना एक हाथ मेरे होंठों पर रख कर मुझे चीखने से रोका हुआ था।
वो अब हल्के धक्के दे रहे थे और मेरी चूचियों को मसल रहे थे और उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए थे। मैं एकदम बेसुध सी थी। अब तो मुझसे चीख भी नहीं निकल रही थी।
उन्होंने हल्के-हल्के झटके मारना शुरू किए। मैंने उनके हर झटके के साथ मचल उठती थी। अब मेरे दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था, अब मुझे उनका धक्के देना अच्छा लगने लगा और उनके हर धक्के का अब मैं भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल कर साथ दे रही थी।
अब ससुर जी ने अपने धक्के तेज़ कर दिए और मेरी जान से निकलने लगी, जैसे ही वो पूरा लंड मेरे अन्दर करते मुझे लगता कि उनका लंड मेरा पेट फाड़ कर बाहर आ जाएगा, पर मुझे भी अब बहुत मज़ा आ रहा था।


शादी के अभी कुछ महीने ही बीते थे और मैंने ऐसा सम्भोग अताउल्ला के साथ भी नहीं किया था। अताउल्ला ने हमेशा हल्के-हल्के ही सब कुछ किया था।
पर आज तो ससुर जी ने मुझे बुरी तरह मसल दिया था। मेरी चूत ने भी अब पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, मैं झड़ने वाली थी।
मैंने आँखें अब भी नहीं खोली थीं, पर मैंने अपने ससुर जी को अपने से एकदम चिपका लिया और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं- उह्ह ओह्ह… बाबूजी प्लीज़… नहीं..!
मैं अब भी उन्हें मना कर रही थी, पर उन्हें अपने ऊपर भी खींच रही थी और एकदम से मेरी चूत से पानी की धार निकल पड़ी और मैं एकदम से निढाल हो गई।
ससुर जी- बहुत अच्छा कौसर बेटा, मैं भी अब आने वाला हूँ।
उन्होंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और एकदम से मेरे ऊपर गिर पड़े। उनका गरम-गरम पानी मेरी चूत में मुझे महसूस हो रहा था।


मुझे नहीं पता फिर क्या हुआ, उसके बाद जब मेरी आँख खुली तो मेरे ऊपर एक चादर पड़ी थी और मैं अभी भी ससुर जी के बिस्तर पर ही थी।
घड़ी में देखा तो करीब 2 बज रहे थे।
मैं उठी तो मेरा पूरा जिस्म दर्द कर रहा था। मैंने जल्दी से अपने कपड़े ढूँढने शुरू किए तो पाया कि सिर्फ़ साड़ी को छोड़ कर सब कपड़े फटे हुए थे।
ससुर जी ने उन्हें बुरी तरह फाड़ दिया था। मैंने सब कपड़े समेटे और फ़ौरन अपने कमरे में आ गई। मुझे नहीं पता कि ससुर जी उस समय कहाँ थे। मैंने अपना दरवाजा बंद कर लिया और फिर अपना फोन देखा तो वो मेरे कमरे में नहीं था।
अब मैं सोचने लगी कि आज मेरे साथ क्या हो गया। अब मुझे खुद पर ग्लानि आ रही थी कि मैंने अपनी अन्तर्वासना के वशीभूत होकर अपने ससुर को यह क्या करने दिया। फ़िर मैंने सोचा कि मैं नासमझ हूँ तो मेरे ससुर तो समझदार हैं, उन्होंने यह हरकत क्यों की, अगर वो पहल ना करते तो मैं इस पचड़े में ना पड़ती। मुझे लगा कि इसके गुनाहगार मेरे ससुर ही हैं, मैं नहीं, उन्हें सजा मिलनी ही चहिये।
मैंने अपना दरवाजा बंद कर लिया और फिर मैं रोने लगी। काफ़ी देर तक रोती रही और मैंने मन बना लिया कि आज इस आदमी को सबक सिखाऊँगी और अताउल्ला को सारी बात बता कर पुलिस को फोन करूँगी। मैंने अपना फोन देखा तो वो मेरे कमरे में नहीं था।


मैंने जल्दी से एक सलवार-सूट अलमारी से निकाल कर पहना और सोचा की शायद ड्राइंग-रूम में फोन होगा। मैं एकदम गुस्से में थी और ड्राइंग-रूम में फोन देखने लगी तो देखा ससुर जी अपने कंप्यूटर पर बैठे है और मेरी नग्न-चित्र कंप्यूटर पर चला रहे हैं। मैं एकदम सुन्न रह गई।
मेरे ससुर जी ने मेरी नग्न चित्र जब मैं बेहोशी की हालत में थी, तब ले लिए थे। मैं भाग कर फिर अपने कमरे में आ गई और अंदर से बन्द कर लिया।
मुझे नहीं पता था मेरे साथ ये सब क्यों हो रहा है। मैं अपनी किस्मत पर रो रही थी कि मैं कहाँ फंस गई। मेरा फोन भी मेरे पास नहीं था, मैं अताउल्ला को तुरंत कॉल करके सब बताना चाहती थी, पर मेरे पास फोन नहीं था।

मैं फिर अपनी किस्मत पर रोने लगी, तभी ससुर जी की आवाज़ आई- बेटा.. आज क्या भूखा रखेगी, दोपहर का खाना तो लगा दे..!’
वो मेरे कमरे के एकदम पास थे, मैंने कहा- चले जाओ यहाँ से, मैं अताउल्ला को अभी कॉल करती हूँ..!
ससुर जी- बहू सोच कर कॉल करियो, जो तू अताउल्ला से कहेगी तो मैं भी कह सकता हूँ कि मैंने तुझे पराए मर्द के साथ पकड़ लिया, इसलिए तू मुझ पर इल्ज़ाम लगा रही है और मेरे पास तो तेरी फोटो भी हैं। वो मैं अगर इंटरनेट पर डाल दूँ। तो तेरी दोनों बहनों की शादी तो होने से रही बेटा…!
‘आप यहाँ से चले जाओ… मुझे आपसे बात नहीं करनी..!’ मैं चिल्लाई और फिर फूट-फूट कर रोने लगी।
मैं अपने कमरे में फर्श पर ही बैठ गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी और ससुर जी ने जो अभी कहा उसे सोचने लगी।

क्या अताउल्ला मेरी बात मानेंगे..या अपने पिता की…! मुझे तो अभी वो सही से जानते भी नहीं..! क्या वो मुझ पर यक़ीन करेंगे कि उनके बाप ने मेरे साथ ऐसा किया?
मेरा सर, दर्द के मारे फटने लगा।


और अगर क्या मैं पुलिस मैं जाऊँ तो क्या ससुर जी सच में मेरे नग्न चित्र इंटरनेट पर डाल देंगे?
मैं अपनी बहनों को बहुत प्यार करती थी, क्या इससे मेरी बहनों पर फर्क पड़ेगा, मेरी आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा, मैं अभी भी फर्श पर बैठी थी और मुझे बहुत तेज़ प्यास लग रही थी, मेरा गला सूख रहा था।
मैं उठी और अपने कमरे से रसोई में चली गई। वहाँ जाकर पानी पिया, तभी ससुर जी की आवाज़ आई- बहू, बहुत भूख लगी है, तुझे जो करना है कर लियो.. पर प्लीज़ खाना तो खिला दे… देख तीन बजने वाले हैं और मैंने तुझसे जो कहा है पहले उस पर भी सोच-विचार कर लेना बेटा…!
मेरी आँखों से फिर आँसू आ गए और मैं वापिस रसोई में आ गई।
फ्रिज खोला उसमें सब्ज़ी बनी पड़ी थी, मैंने वो गर्म की, 4 रोटी बनाई और ड्राइंग कमरे में ससुर जी को देने आ गई।


मैंने देखा वो सोफे पर सो रहे थे, मैंने ज़ोर से टेबल पर थाली रख दी और वहाँ से जाने लगी।
ससुर जी की आँख मेरी थाली रखने से खुल गई, वो बोले- बेटा, तू नहा कर ठीक से कपड़े पहन ले, देख ऐसे अच्छा नहीं लगता और कुछ खा भी लेना..!
और उन्होंने खाना शुरू कर दिया।
मैंने अपने आप को देखा तो मैंने जो सलवार-सूट जल्दी में पहना था, उसके ऊपर मैंने चुन्नी भी नहीं ली थी और मेरे सारे बाल बिखरे पड़े थे।
मैं जल्दी से गुसलखाने में चली गई और फिर नहाने लगी।
मैंने अपने जिस्म को देखा तो जगह-जगह से लाल हो रहा था। ससुर जी ने मेरी चूचियाँ इतनी बुरी तरह मसली थी कि उनमें अभी तक दर्द हो रहा था और मुझे अपनी चूत में भी दर्द महसूस हो रहा था।
मैं एकदम गोरी थी, इसलिए ससुर जी ने जहाँ-जहाँ मसला था, वहाँ लाल निशान पड़ गए थे। जिस्म पर पानी पड़ना अच्छा लग रहा था। मैं 20 मिनट तक नहाती रही और फिर देखा तो मैं अपने कपड़े और तौलिया भी लाना भूल गई थी।


मैं जल्दी से नंगी ही भाग कर अपने कमरे में आ गई और अन्दर से बन्द कर लिया और फिर जल्दी से एक दूसरी साड़ी निकाली, नई ब्रा और पैन्टी निकाली, जो मैंने शादी के लिए ही खरीदी थी क्योंकि एक सैट तो बाबूजी ने फाड़ दिया था। दूसरी साड़ी पहनी और फिर अपने कमरे में ही लेट गई।
मुझे घर की याद आने लगी और फिर रोना आ गया। मुझे पता ही नहीं चला कब मेरी आँख लग गई और जब आँख खुली तो शाम के छः बजे थे।
मुझे रोज अताउल्ला सात बजे शाम को फोन करते हैं, मैं यही सोच कर कि जब फोन आएगा तो उन्हें सब बता दूँगी, इंतज़ार करने लगी, पर तभी मुझे याद आया कि मेरा फोन तो ड्राइंग कमरे में है, मैं उनका फोन कैसे उठा पाऊँगी।
मैंने अपना दरवाजा खोला और ड्राइंग कमरे में आ गई। उधर देखा तो ससुर जी बैठे थे, अपने कंप्यूटर पर कुछ कर रहे थे।

ससुर जी- बहू चाय तो बना दे!
वो तो ऐसे बात कर रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं और फिर बोले- ले बेटा, तेरा फोन यहीं पड़ा था, अताउल्ला का फोन आने वाला होगा… इसे रख ले अपने पास!
उन्होंने मुझे मेरा फोन दे दिया। मैंने जल्दी से अपना फोन ले लिया और रसोई में आ गई।
मेरा मन कर रहा था कि तुरंत अताउल्ला को फोन करके उनके बाप की करतूत बता दूँ, पर सोचने लगी क्या वो मेरी बात पर यकीन करेंगे और फिर ससुर जी की धमकी भी याद आने लगी।
ये सोचते-सोचते मैंने उनके लिए चाय बना दी और चाय लेकर ड्राइंग कमरे में आ गई और टेबल पर रख कर जाने लगी।

तो ससुर जी बोले- बेटा दो मिनट बैठ जा, मुझे कुछ बात करनी है।
मैंने कहा- मुझे आपसे कुछ बात नहीं करनी…
और अपना मुँह फेर लिया।
ससुर जी- तू प्यार की ज़ुबान नहीं समझेगी, तो फिर मुझे दूसरा तरीका अपनाना पड़ेगा..!
उनकी आवाज़ में काफ़ी गुस्सा था।
मैं सिहर गई और मैं वहीं सोफे पर बैठ गई, बोली- क्या बात करनी है.. जल्दी करिए..
मैंने आँखें अभी भी नीचे की हुई थीं।
ससुर जी- बेटा.. मुझे माफ़ कर दे, मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ.. जिस दिन से तुझे अपने बेटे के लिए पसंद किया है, उस दिन से उसके नसीब की दाद देता हूँ कि उसे तेरी जैसी सुंदर बीवी मिली है। पर तू ज़रा सोच उसे तेरी कितनी कदर है?
ससुर जी- हर समय काम-काम करता रहता है, तुझे क्या लगता है, उसकी कम्पनी में लड़कियों की कमी है? वो रोज अपनी सेटिंग को चोदता होगा लाहौर में.. मैं उसे बचपन से जानता हूँ!
मेरी तो शर्म के मारे आँख बंद हो गई कि ससुर जी मेरे सामने कैसे लफ्ज़ बोल रहे हैं.. वो ऐसे तो कभी नहीं बोलते थे।


में चिल्ला कर बोली- तो फिर जब आपको पता था, तो फिर उनकी शादी क्यों की मेरे साथ? उनके साथ ही कर देते जो उनकी सेटिंग हैं।

ससुर जी- तू मेरी पसंद है बहू, अताउल्ला की नहीं.. और तू उसे सब कुछ बता भी दे तो भी वो तेरी बात नहीं मानेगा और वो लाहौर में खुश है, यहाँ कभी-कभी आएगा तेरे साथ एक-दो रात बिताएगा और फिर लाहौर चला जाएगा.. उसे मॉडर्न लड़कियों का चस्का है, मैंने उसे फोन पर बात करते सुना था। अब तक अपनी कंपनी की करीब 8-10 लड़कियाँ पटा कर चोद चुका है वो..
मैंने कहा- बस करिए.. आप ये सब मुझे क्यों बता रहे हैं… और मेरे सामने ऐसी गंदी बातें ना करिए प्लीज़..! मुझ को आप से बात नहीं करनी…
और मैं रोने लगी।

ससुर जी- बहू.. रो मत, मैं बस यह कहना चाहता हूँ कि मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ और तुझे कोई पेरशानी नहीं होगी यहाँ पर… तू यहाँ खुश रह और अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो तुझे जो मैंने कहा है, मैं वो सब कर दूँगा और अताउल्ला से मैं खुद बात करूँगा और वो तुझे तलाक दे देगा, ना तू कहीं की रहेगी और ना तेरी दोनों कुंवारी बहनें..! बस इन सब चीजों का अंजाम दिमाग़ से सोच ले और मुझे कुछ नहीं कहना…
तभी मेरा फोन बज उठा, अताउल्ला का कॉल था। मैं अपने कमरे में भाग आई, काफ़ी घंटियाँ बज गईं, तब मैंने फोन उठाया।

अताउल्ला- कहाँ हो आप, कब से कॉल कर रहा हूँ!
मैंने कहा- कुछ नहीं… वो मैं रसोई में थी..!
और अपने आँसू पोंछने लगी।
‘आप यहाँ कब आओगे, आपकी बहुत याद आ रही है!’ मैंने सिसकते हुए कहा।
अताउल्ला- यार… यहाँ का काम ही ऐसा है, शायद दो महीने में कुछ छुट्टी मिल जाए और सब ठीक है वहाँ पर? और अब्बू कैसे हैं?

मन तो किया कि अभी ससुरजी का काला चिठ्ठा बयान कर दूँ, पर ससुरजी की धमकी से सिहर गई।
मैंने कहा- हाँ.. सब ठीक है, मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है, मैं आपसे बाद में बात करती हूँ!
मुझसे बात नहीं हो पा रही थी, इसलिए ऐसा कह दिया।
अताउल्ला- ठीक है.. अपना और अब्बू दोनों का ख़याल रखना… अल्ला हाफ़िज़..!
यह कह कर उन्होंने फोन काट दिया और मैं फिर अकेली रह गई। घड़ी में समय देखा तो शाम के 7-30 बज रहे थे। मैं जल्दी से फोन रख कर रसोई में आ गई।

मैं वो सब भूल जाना चाहती थी और रसोई में काम करने लगी। खाना बनाते-बनाते एक घंटा गुजर गया, ससुर जी का खाना ड्राइंग कमरे में लगाया और अपने कमरे में जाने लगी।
तभी ससुर जी बोले- बहू, तूने कुछ खाया?
मैंने गुस्से में कहा- मुझे भूख नहीं है, आप को कुछ चाहिए हो तो मुझे आवाज़ दे देना, मैं अपने कमरे में जा रही हूँ!

यह कह कर मैं अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बन्द करके लेट गई, उसके बाद पता ही नहीं चला कब आँख लग गई।

जब सुबह का अलार्म बजा तब आँख खुली, सुबह के 5 बजे थे।
मुझे पता था ससुर जी को स्कूल जाना होगा, उनका लंच लगाना था। तो मैं नहा-धो कर जल्दी से रसोई में गई और उनका ब्रेकफास्ट और लंच जल्दी से तैयार किया।
मुझे उनकी तिलावत करने की आवाज़ आ रही थी, मैंने मन में कहा कि कैसा ढोंगी इंसान है, यह तो उस ऊपर वाले से भी नहीं डर रहा।

फिर थोड़ी देर में मैंने उनका नाश्ता ड्राइंग रूम में लगा दिया। आज मैंने रोज की तरह साड़ी ही पहनी थी।
वैसे तो मैं रोज ससुर जी को सलाम करती थी, पर आज चुपचाप खड़ी रही।
ससुर जी- बहू… मुझे पता है तूने कल से कुछ नहीं खाया है.. चल बैठ मेरे साथ और कुछ खा ले!
मैंने कहा- मुझे अभी भूख नहीं है।

ससुर जी बोले- तू मेरे साथ खाती है या मैं फिर आज छुट्टी करूँ स्कूल की.. बोल?
कल छुट्टी करने पर मेरा क्या हाल हुआ था, वो सोच कर मैं फिर काँप गई और चुपचाप सोफे पर बैठ गई।
मैं नज़रें झुका कर बैठी थी और धीरे-धीरे मैंने ससुर जी के साथ नाश्ता कर लिया।
उन्होंने अपना दूध का कप भी मेरे आगे कर दिया और कहा- चलो पियो इसे!
वो मुझे ऐसे नाश्ता करा रहे थे, जैसे कोई बच्चे को कराता है।
ससुर जी बोले- बहू.. इस घर में हम दोनों अकले हैं, इसलिए हमें एक-दूसरे का ख़याल रखना चाहिए… खुश रह बेटा और तू साड़ी में सिर पर पल्लू डाल कर बड़ी सुंदर लगती है… चल अब मैं स्कूल जा रहा हूँ.. तू दरवाज़ा बंद कर ले..!


वो ऐसा कह कर चले गए। मैंने फिर दरवाज़ा बंद कर लिया और सोचने लगी कि ससुर जी आज इतने अच्छे से बात कर के गए हैं और कल उन्होंने मेरी इज़्ज़त तार-तार कर दी थी, वो ऐसा क्यों कर रहे हैं।
फिर मैं अपने घर के काम में लग गई। दोपहर के 2-00 बज चुके थे, आम तौर पर ससुर जी अब तक स्कूल से आ जाते थे, पर वो आज नहीं आए थे। मुझे लगा पता नहीं क्या हुआ, वो आज कहाँ चले गए।
करीब तीन बजे दरवाजे की घंटी बजी, तो मैंने दरवाज़ा खोला।
ससुर जी अन्दर आ गए थे, मैंने कहा- बाबूजी आप फ्रेश हो लो, मैं आपका खाना लगा देती हूँ।
तो ससुर जी बोले- बेटा ये ले!
मैंने देखा तो उनके हाथ में एक पोली बैग था, उसमें कुछ कपड़े थे।
मैंने कहा- यह क्या है?
ससुर जी- बहू.. कल तेरे कपड़े फट गए थे ना मुझसे… मुझे मुआफ़ करना… मैं नए लाया हूँ। आज शाम को तू इन्हीं को पहन लेना..!
और वो फ्रेश होने चले गए।

मैंने वो पोली बैग अपने कमरे में रख दिया और उनका खाना लगाया, खुद भी खाया और फिर अपने कमरे में थोड़ा आराम करने आ गई।
अब मेरा ध्यान उस पोली बैग पर गया, जो ससुर जी ने मुझे दिया था।

मैंने सोचा देखूँ इसमें वो क्या लाए हैं। बैग खोला तो मैं एकदम दंग रह गई, उसमें एक मशहूर ब्रांड की बहुत ही महंगी सुनहरे रंग की ब्रा थी और साथ में एक सुनहरे रंग की थोंग (पैन्टी) थी। पैन्टी तो बिल्कुल किसी डोरी की तरह थी। उसमें पीछे की तरफ की डोरी पर कुछ चमकदार नग लगे हुए थे।
और साथ में एक नाईटी भी थी, जो काले रंग की एकदम पारदर्शी थी। उसमें बहुत ही कम कपड़ा था, वो एकदम लेस वाली नाईटी थी। उसे कोई पहन ले तो शायद ही उसमें लड़की का कोई अंग छुप सके।
आज तक अताउल्ला ने भी मुझे ऐसी कोई ड्रेस नहीं दी थी। ऐसी ड्रेस तो मैंने सिर्फ़ फिल्मों में ही देखी थी। तो ससुर जी को आज आने में इसलिए देरी हुई थी।
मुझे यकीन नहीं हुआ कि वो मेरे लिए ऐसी ड्रेस भी खरीद सकते हैं।
मैंने फ़ौरन उस पोली बैग को बंद कर के बेड पर एक तरफ रख दिया और फिर मैं लेट गई और मेरी आँख लग गई।

जब आँख खुली तो शाम के छः बजे थे। मैंने जल्दी से उठ कर चाय बनाई और ससुर जी को देने के लिए ड्राइंग रूम में आ गई।

वो ड्राइंग रूम में अख़बार पढ़ रहे थे।
मैंने चाय मेज पर रख दी और जाने लगी।

ससुर जी- बहू… तुझे कहा था मैंने कि शाम को वो कपड़े पहन लेना, जो मैं आज लाया था और तूने अभी तक साड़ी पहन रखी है। मुझे तेरा फोटोशूट लेना है, चलो जल्दी से वो ड्रेस पहन कर आ जा..
मैं हाथ जोड़ते हुए बोली- बाबूजी… प्लीज़ मुझे छोड़ दो, मैं वो कपड़े पहन कर आप के सामने कैसे आ सकती हूँ.. प्लीज़ बाबूजी!
मैंने अपनी आँखें नीचे की हुई थीं।

ससुर जी- बहू, तू एक बार मेरी बात मान ले, आज के बाद तुझे कुछ पहनने को नहीं बोलूँगा.. प्लीज़, मान जा!

मैं उनसे अर्ज कर रही थी और वो मुझसे..!

ससुर जी- जा अब.. और मुझे तू रात तक उसी ड्रेस में दिखनी चाहिए, बस!
मुझे लगा वो गुस्सा होने वाले हैं, इसलिए मैं तुरंत अपने कमरे में आ गई।
मरती क्या ना करती.. मैंने वो पोली बैग उठाया और उसमें से वो ब्रा, पैन्टी और वो नाईटी निकाल ली। मैंने ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर अपनी साड़ी उतारी और फिर वो नई ब्रा और पैन्टी पहन ली।
मैंने पहली बार इतनी महंगी ब्रा और पैन्टी पहनी थी। मैंने शीशे में खुद को देखा, मैं उस समय बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैं एकदम गोरी हूँ और वो सुनहरे रंग की ब्रा और थोंग (पैन्टी) मेरे जिस्म पर एकदम ग्लो कर रही थी। थोंग तो ऐसी थी कि बड़ी मुश्किल से मेरी चूत उसमें छुप पा रही थी और उसके पतले डोरे मेरी टांगों के बीच में डाल लिए थे।


मैंने ऊपर से वो पारदर्शी नाईटी डाल ली, मैंने ड्रेसिंग टेबल में देखा तो मैं एकदम मॉडल सी लग रही थी।
उस समय मैं सब कुछ भूल गई और अपने बालों को अच्छे से बनाए, अपना मेकअप किया और फिर खुद को शीशे में निहारने लगी।

मुझे नहीं लगता कि उस नाईटी में कुछ भी छुप रहा था। मेरी चूचियां और तनी हुई लग रही थी उस ब्रा में और थोंग तो सिर्फ़ 3 इंच का कपड़ा डोरियों के साथ था, उसमें यक़ीनन मैं बहुत ही मादक और कामुक लग रही थी।

मेरी टाँगें एकदम नंगी थीं। मुझे इतना भी ध्यान नहीं रहा कि मैंने अपने रूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया है। पीछे मुड़ी तो देखा कि ससुर जी मुझे टकटकी लगाए देख रहे हैं.. मैं एकदम शरमा गई।
मैंने कहा- बाबूजी.. आप यहाँ क्या कर रहे हैं?
और अपने हाथों से अपने तन को ढकने लगी।

ससुर जी- बहू अब शरमा मत… देख मैं कैमरा भी लाया हूँ.. अब मैं जैसा कहूँगा तू वैसा करेगी, नहीं तो तू सोच ले!

मैंने नजरें झुका लीं और चुपचाप खड़ी रही।
ससुर जी- चल अब सीधी खड़ी हो जा… मैं तेरे इस मादक रूप की फोटो तो खींच लूँ!
मैंने हाथ हटा लिए, ससुर जी ने कई फोटो लिए।
ससुर जी- चल.. अब नाईटी भी उतार दे..
यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
मैंने उनकी वो बात भी मान ली। अब मैं अपने ससुर के सामने केवल एक ब्रा और एक पतली डोरी वाली की थोंग में थी। अपने को छुपाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर इन कपड़ों में कुछ छुपता कहाँ है।
ससुर जी ने मुझे अलग-अलग हालत में खड़ा कर के कई फोटो लिए।

फिर बोले- चल अब पूरी नंगी हो जा बहू और नंगी तू इस कैमरा के सामने होगी..!
मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ… प्लीज़ मुझे नंगा मत करिए, आपने जो कहा, वो मैंने किया!
ससुर जी- बेटा… तू अभी कौन से कपड़ों में है?

यह कहते हुए उन्होंने मेरे शरीर से ब्रा और पैन्टी भी उतार दी। मैं अब एकदम नंगी थी, मैं एकदम सीधी खड़ी हो गई।

उन्होंने मेरी कई नंगी फोटो खींची।
फिर मेरी चूचियाँ देख कर बोले- बेटा.. ये तो अब तक लाल है, कल मैंने ज़्यादा तेज़ मसल दी थी क्या!
और मेरे चूचुक छूने लगे।

मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी, ऐसे मत करिए!

ससुर जी- चल अब दोनों हाथ दीवार पर रख और पीछे मुँह कर के खड़ी हो जा!
जैसा उन्होंने कहा, मैं वैसे ही खड़ी हो गई। मेरे हाथ दीवार पर थे, मेरे बाल खुले हुए थे और वो मेरे चूतड़ों तक आ रहे थे।
उन्होंने उस स्थिति के कई कोणों से फोटो लिए।

थोड़ी देर बाद मैंने पीछे मुड़ कर देखा वो एकदम नंगे हो चुके थे और उनका लंड एकदम तना हुआ था। उनका लवड़ा आज तो और भी लंबा लग रहा था। मैंने फिर से दीवार की तरफ मुँह कर लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं।
मुझे अब अपने जिस्म पर उनके हाथ महसूस हो रहे थे, उनका एक हाथ मेरी बाईं चूची को मसल रहा था और दूसरा दाईं चूची को भभोंड़ रहा था।
मेरे मुँह से ‘उफआह.. बाबूजी प्लीज़… उफ्फ….नहीं…आह.. बस करो.. आ..’ जैसे अल्फ़ाज़ निकल रहे थे।

तभी उन्होंने दायें हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, मैं एकदम से उछल सी गई, तो उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए।

ससुर जी- बहू.. बस थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रह..!
और फिर मुझे अपनी चूत पर उनका मोटा लण्ड महसूस होने लगा। उन्होंने मेरे बाल पकड़े हुए थे और दाईं वाली चूची मसल रहे थे। उन्होंने एक झटका मारा और पूरा लंड मेरे अन्दर समा गया।
बिल्कुल जैसे हीटर की रॉड मेरे अन्दर समा गई हो।
आज वो मेरे साथ खड़े-खड़े ही चुदाई कर रहे थे।
मैंने अपनी आँखें बंद की हुई थीं।
फिर पता नहीं क्या हुआ मुझे अपनी चूत में सनसनी होने लकी और लगा मेरी चूचियाँ खड़ी हो रही हैं…!
या अल्लाह…. मेरा जिस्म मेरा साथ छोड़ रहा था, अब मैं भी मजे में डूबती जा रही थी, अब उनका लंड मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।
मेरे मुँह से निकल रहा था- उफ़फ्फ़… बाबूजी…प्लीज़ नहीं…आहाहहा..!

और में उनके हर झटके का जवाब अपने चूतड़ हिला-हिला कर दे रही थी।

ससुर जी- ऊ…आहह.. बहू… तू बहुत ही प्यारी है बस दस मिनट और खड़ी रह…!
और इस तरह वो मुझे 20 मिनट तक दीवार पर खड़ा करके चोदते रहे, वो भी मेरे अपने कमरे में।
उसके बाद एक करेंट सा लगा और मेरी चूत से पानी की धार बह गई!
मुझे लगा वो भी झड़ गए हैं, वो एकदम मुझसे चिपक गए और मुझे सीधा करके मेरे होंठों को चूसने की कोशिश करने लगे।
फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे गोदी में उठा कर मेरे बेड पर लिटा दिया और खुद भी लेट गए।
हम दोनों 15 मिनट ऐसे ही लेट रहे।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपने ससुर के साथ अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हूँ।
और इतने में मेरा फोन बजने लगा।
समय देखा तो सात बज रहे थे और अताउल्ला का फोन था।

ससुर जी- बेटा, अताउल्ला का फोन है… उठा ले!
और मेरी चूत को सहलाने लगे, मैंने उनका हाथ हटाया और अताउल्ला का फोन उठा लिया।
अताउल्ला- हैलो कौसर, कैसी हो आप?
मैंने कहा- ठीक हूँ, आप बताइए..!
अताउल्ला- क्या कर रही थी?
अब मैं उन्हें कैसे बताती कि मैं एकदम नंगी उनके बाप के साथ अपने बेड पर हूँ और ससुर जी मेरी चूत में उंगली डाल रहे थे। मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से रोका हुआ था।
मैंने कहा- मैं रसोई में काम कर रही थी..!

तभी ससुरजी ने मेरी एक चूची बड़ी ज़ोर से दबा दी, मेरे मुँह से फोन पर ही चीख निकल गई- ओफ़फ्फ़…
अताउल्ला घबरा गए, पूछने लगे- क्या हुआ?
मैंने ससुर जी से हाथ जोड़ कर इशारा किया कि प्लीज़ मुझे बात करने दो, तब जाकर उन्होंने मेरी चूची छोड़ी।
मैं नंगी ही बेड से उठ कर बोली- कुछ नहीं सब्ज़ी काट रही थी, थोड़ा सा लग गया..!
अताउल्ला- अपना ध्यान रखा करो और अब्बू कहाँ हैं?

उन्हें क्या पता था कि अभी थोड़ी देर पहले ही मेरी चूत के अन्दर अपना लण्ड डाले पड़े थे।
मैंने कहा- वो शायद बेडरूम में हैं, टीवी देख रहे हैं।
अताउल्ला- ठीक है अपना ख्याल रखना!
और उन्होंने फोन रख दिया।

मैंने ससुर जी को देखा तो वो बेड पर लेट मुझे ही देख रहे थे, पर उन्होंने अपने कपड़े पहन लिए थे।
मैं उनसे नज़रें नहीं मिला रही थी इसलिए फ़ौरन दूसरी तरफ देखने लगी।
मैंने भी सोचा कि मैं भी अपने कपड़े पहन लूँ और अलमारी खोल कर अपना एक सूट निकाल लिया।
ससुर जी- क्या कर रही है बेटा?

मैंने बिना उनकी तरफ देखे कहा- खाना बनाना है, देर हो जाएगी इसलिए रसोई में जा रही हूँ।
उन्होंने तभी बेड से उठ कर मेरा सूट छीन लिया, बोले- तो इसमें सूट का क्या काम? आज से तू खाना नंगी हो कर ही बनाएगी।
मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़… मेरा सूट छोड़िए साढ़े सात बज गए हैं, बहुत काम है।

मुझे लगा शायद वो ऐसे ही कह रहे हैं।
ससुरजी- तुझे समझ नहीं आता क्या… अब शाम को तू ऐसे ही रहा करेगी, चल जा अब खाना बना…
और मेरा सूट बेड के दूसरी तरफ फेंक दिया।
मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी… मुझे कुछ तो पहनने दो!
और मैं नजरें झुकाए खड़ी रही।

ससुरजी- अच्छा चल तू इतना कह रही है तो तू कुछ चीज़ पहन सकती है..!
फिर बोले- तू अपनी कोई भी ज्वैलरी, अपनी चुन्नी और कोई भी हील वाली सैंडिल पहन सकती है.. ठीक है अब?

मैंने सोचा इसमें तो एक भी कपड़ा नहीं है, पहनूँ क्या और चुन्नी का क्या करूँगी जब नीचे से पूरी नंगी हूँ।
ससुर जी- और थोड़ा फ्रेश हो ले पहले, बाल भी बना ले, देख एकदम बिखरे पड़े हैं!
इतना कह कर वो अपने कमरे में चले गए।

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