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Vahini la zavalo - marathi Hindi sex kahani

Vahini la zavalo - marathi Hindi sex kahani Mai jab bhiBhaiya ke gharjata hu to mujhe, hamesh se hi vahini ko dekhkar use chodane ki ichchyahoti hai. Uska sunder sa chehare ko dekh kar na jane maine kitne barmuthth mari hai. Par use nahi chod paya. Sadi ke baad se hi Bhaiyahardam kaam karne ke liye bahar hi rahe hai, [...]

04 Dec 2016 | 0 commentsView Post

Chachi ki pyaas - Hindi sex kahani

Chachi ki pyaas - Hindi sex kahani Hi friends my name is Mr H (Code name) yeh story jo m app ko sonany ja raha hon sachi kahani hay please comment Kr k feedback zaroor dijya ga pehly m apny bary m batata chaloon hight 5.11 hay mery laan ka size 6 inch hay aur age 23 hay m abi parh raha hon ab story ki tarf ata hon[...]

04 Dec 2016 | 2 commentsView Post

Bahen our didi ki eksath chudai

Bahen our didi ki eksath chudai Meri shadi ho chuki hai, meri biwi ka naam hai simran pyar se main use simi bulata hu, simi bahut sexy to nahin pur uske boobs bade mast hai... Size main bhi baade hai, aur us par chote golai wali par nokdar pointed type ki red nipples, jab simi ko sex chadta hai tab nipples ki lamb[...]

04 Dec 2016 | 0 commentsView Post

Chupke Say Behan Ki Chudai Ki

Chupke Say Behan Ki Chudai KiMera naam rohit hai aur punjab mein rehta hun meri umer 20 saal hain jo kahani mein aap sab ko batanay jaa raha hun woh 3 saal pehle ki kahani hain aur meray pariwaar mein 2 bhai, aur ek 18 saal ki behan hai, behan ka naam neetu hain, pita jee ke death ko 5 saal hogaye hai aur hum jaya[...]

04 Dec 2016 | 1 commentsView Post

Neend main bhabi ki chudai

Neend main bhabi ki chudai Hello dosto , meri kahani tab ki hai jab main ba final me tha aur apni bhaya bhabi ke paas delhi main rehtha tha aur bhaiya noida main ek company main kaam karte the,bhabi dekhna main bahut hi sunder hai aur bhaiya se kafi pyaar bhi karthi hai aur main bhi unhe poori izzat deta hoo. Ek[...]

04 Dec 2016 | 1 commentsView Post

गले तो मिल लो होली पर ! -Hindi Sexy Stories

गले तो मिल लो होली पर !  - Hindi Sexy Story

अपने मम्मी पापा के साथ सोनीपत में रहती हूँ। मेरी एक बड़ी बहन माला जिसकी शादी को अभी आठ महीने ही हुए हैं दिल्ली में है जीजू रोहित का कपड़े का एक्सपोर्ट बिजनेस है। मेरा रिश्ता भी दिल्ली में तय हो चुका है और मेरे होने वाले पति सुमित बंगलौर में सॉफ्ट वेयर इंजीनियर है। मेरे पापा का सोनीपत में बिज़नेस है।

अप्रेल में मेरी शादी निश्चित है। शादी की खरीदारी के लिए मैं मम्मी के साथ दिल्ली आई हुई हूँ दीदी जीजू के पास। जीजू बहुत मस्त हैं, दीदी को पांचवां महीना चल रहा है इसलिए उनसे तो घर का काम होता नहीं मम्मी ही अक्सर रसोई में लगी रहती हैं। बाकी कामों के लिए एक नौकरानी रखी हुई है। जीजू मेरे साथ अक्सर छेड़छाड़ करते रहते हैं। कई बार मेरे गालों को चूम लेते है और एक आध बार तो मेरे स्तन भी दबा चुके हैं दीदी के सामने ही, दीदी भी कुछ नहीं कहती।

एक दिन दीदी के सामने ही जीजू ने कहा- नीतू अब तो तेरी शादी होने वाली है शादी के बाद क्या होना है, तुझे पता है? कोई एक्स्पेरियंस है तुझे? मुझ से सीख ले कुछ ! मेरा भी कुछ काम बन जाएगा ! क्योंकि तेरी दीदी तो अब हाथ लगाने देती नहीं, तू ही कुछ मदद कर दे !

दीदी भी उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहती- हाँ हाँ ! इसे भी कुछ सिखा दो ! और जीजू मुझे अपनी बाँहों में लेकर भींच देते और यहाँ वहां छू भी लेते मुझे भी यह सब अच्छा लगता था लेकिन उपरी मन से जीजू दीदी की ऐसी बातों का विरोध करती थी धीरे धीरे जीजू की हरकतें बढ़ने लगी। अब तो वो दीदी के सामने ही मेरे होटों को चूम लेते और मेरे स्तन भी अच्छी तरह मसल देते थे।

इसी बीच होली आ गई। सभी उत्साहित थे होली खेलने के लिए। दीदी जीजू की भी शादी के बाद पहली होली थी और मेरा रिश्ता भी अभी हुआ था। जीजू पहले ही दिन काफी सारे रंग, अबीर, गुलाल ले आए थे। होली वाले दिन मम्मी तो रसोई में भिन्न भिन्न पकवान बनाने में लग गई थी सुबह से ही। जीजू ने मुझे और माला को बाहर बगीचे में बुला लिया होली खेलने के लिए। मैंने सफ़ेद टॉप और पैरेलल पहना था, दीदी ने गुलाबी सलवार-सूट पहना और जीजू टी-शर्ट और नेकर में थे।

पहले जीजू में मुझे थोड़ा सा गुलाल लगाया मेरे गोरे गालों पर, फिर दीदी को भी गुलाल लगाया। दीदी ने भी रोहित के चेहरे पर गुलाल लगाया तो जीजू ने दीदी को चूम लिया उनके होटों पर। दीदी मेरी तरफ देख कर थोडा शरमाई तो जीजू ने कहा- अभी उसकी बारी भी आयेगी ! इतना कहते ही जीजू ने मुझे पकड़ लिया और मुझे चूमना शुरू कर दिया पहले होटों पर, गालों पर फिर कानों और गले पर।

इतने में जीजू ने अपने होंठ मेरे टॉप के ऊपर मेर स्तनों पर रख दिए। मैं कांप उठी। उनके होंठ कुछ खुले और मेरे चुचुक का उभार उनके होटों में दब गया। मेरी तो जैसे जान ही निकल गई। मैंने जीजू को हल्का सा धक्का देकर हटा दिया। दीदी सब देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।

लेकिन जीजू कहाँ मुझे छोड़ने वाले थे! उन्होंने मुझे फिर पकड़ लिया इस बार उनके हाथ मेरे पृष्ठ उभारों पर थे और होंठ मेरे होंठों पर। मैंने उनकी पकड़ से छूटने का भरसक प्रयत्न किया मगर कहाँ मैं कोमल-कंचन-काया और कहाँ बलिष्ठ-सुडौल जीजू ! जीजू मुझे चूमते चूमते और मेरे चूतडों को सहलाते हुए धकेल कर बगीचे में एक पेड़ तक ले गए और उसके सहारे मुझे झुका कर बेतहाशा मुझ से लिपटने लगे, मुझे चूमने चाटने लगे, मुझे नोचने लगे। मेरे शरीर का कोई अंग उनके हाथों से अछूता नहीं रहा। उनके हाथ अब मेरे टॉप में जा चुके थे। चूँकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी तो मेरे नग्न स्तन उनके हाथों में आ गए और मैं सिहर उठी। दीदी खड़ी यह सारा खेल देख रही थी और हंस रही थी।

अब तो जीजू के हाथ मेरे चूतड़ों से फिसल कर आगे की ओर आ गए थे मेरे तन-मन में काम ज्वाला भड़कने लगी थी। अब मैं चाह कर भी जीजू का विरोध नहीं कर पा रही थी।

अब जीजू ने मुझे वहीँ बगीचे में हरी घास पर लिटा लिया और मेरे टॉप को ऊपर उठा दिया। मेरा नग्न वक्ष-स्थल अब जीजू की आँखों के सामने था। उनके होंठ मेरे चूचुकों से खेलने लगे। दीदी दूर खड़ी यह सब देख कर मस्त हो रही थी की तभी मेरी नज़र अमित पर पड़ी जो दूर से यह सब नजारा देख रहा था।



मै आपको बताना भूल गई कि अमित सुमित का छोटा भाई है यानि मेरे देवर जो दिल्ली में एम बी ए कर रहा है। मुझे तनिक भी याद नही रहा था कि वो भी होली खेलने यहाँ आ सकता है।

अमित को देखते ही मेरे तो जैसे प्राण ही निकल गए। उसने मुझे देख लिया था जीजू के साथ इस हालत में ! मै तो गई बस !

मैंने जीजू को अपने ऊपर से धक्का दे कर हटाया और जल्दी से टॉप ठीक किया। इसी बीच मेरी हड़बड़ी देख कर दीदी ने भी अमित को देख लिया था। दीदी आगे बढ़ी और अमित स्वागत करते हुए कहा- आओ अमित ! होली की शुभकामनाएँ !

अमित आगे बढ़ा और दीदी को थोड़ा गुलाल लगाते हुए बोला- आप सभी को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ !

दीदी ने अमित को बगीचे में ही रखी कुर्सी पर बैठने को कहा। तब तक मैं भी वहाँ आ गई थी। जीजू भी मेरे साथ साथ ही थे। अमित ने मेरे जीजू को होली की बधाई दी और रंग लगाते हुए बोला- बहुत मस्ती हो रही है होली की ! अमित की नजरें मेरी तरफ थी।

मैंने अपने आप को संयत करके अमित को होली की शुभकामनाएँ देते हुए उसके चेहरे पर गुलाल लगाया।

अमित बोला- सिर्फ रंग से काम नहीं चलेगा ! मिठाई-विठाई खिलाओ !

इसी बीच दीदी अन्दर जा चुकी थी मम्मी को अमित के आने की सूचना देने और नाश्ते का प्रबंध करने !

मम्मी बाहर आई तो अमित ने उनको भी होली की मुबारकबाद दी। मम्मी ने सुमित और उनके मम्मी पापा के बारे में पूछा कुछ देर बात करके मम्मी अंदर चली गई और दीदी ने हम सबको भी नाश्ते के लिए अंदर बुलाया।

जीजू आगे चल रहे थे, उनके पीछे मैं थी और मेरे पीछे अमित।

अचानक अमित ने मेरे पृष्ठ उभार पर चूंटी काटी मैने चौंक कर पीछे देखा तो अमित ने अर्थपूर्ण नज़रों के साथ अपने होंठ गोल करते हुए मेरी तरफ एक चुम्बन उड़ा दिया। मेरे मन में हलचल होने लगी।

नाश्ते के बाद अमित बोला- अब थोड़ी होली हो जाए !

दीदी ने कहा- हाँ चलो ! बाहर बगीचे में ही चलते हैं !

हम चारों फिर बाहर आ गए। मम्मी रसोई में ही लगी रही। बाहर आते ही अमित ने मुझे पकड़ लिया मेरे चेहरे और बालों में गुलाल भर दिया। दीदी जीजाजी तो कुर्सियों पर बैठ गए।

मैंने भी अमित के हाथ से रंग का पैकेट छीन कर उसके सर पर उलट दिया।

तब अमित ने पूछा ही था कि पानी कहाँ है, उसकी नजर पौधों को पानी देने के लिए लगे नल और ट्यूब पर पड़ गई। उसने अपनी जेब से एक छोटी सी पुड़िया निकाली और इसे खोल कर मेरे बालों में डाल दिया और नल खोल कर ट्यूब से मेरे सर पर पानी की धार छोड़ दी।

मैं एकदम गुलाबी रंग से नहा गई। मेरे कपड़े मेरे बदन से चिपक गए और मेरे स्तन, चूचुक, चूतड़ सब उभर कर दिखने लगे।

तभी अमित ने अपनी एक बाजू से मेरी कमर पकड़ ली और दूसरे हाथ से पीले रंग का गुलाल निकाल कर पहले मेरे चेहरे पर लगाया और फिर मेरी पीठ की तरफ से मेरे टॉप को उठा कर मेरी कमर को पूरा रंग दिया।

दीदी जीजू बैठे यह सब नज़ारा देख रहे थे।

अभी भी अमित का मन नहीं भरा था। वो मुझे दबोच कर उसी पेड़ के पास ले गया और उस पर मुझे झुका कर एक मुठ्ठी रंग मेरे पैरेलल में हाथ डाल कर मेरे चूतडों पर रगड़ दिया। इस पर मुझे बहुत गुस्सा आया जो मेरे चेहरे पर भी झलकने लगा। अमित ने यह देख कर कहा- भाभी ! वो आपके जीजू क्या कर रहे थे आपके साथ? और मैं तो आपका प्यारा देवर हूँ। अगर साली आधी घर वाली होती है तो भाभी भी तो है।

उसने मुझे पेड़ के पीछे इस तरह कर लिया कि दीदी जीजू से ओट हो जाए। फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए, लेकिन गुलाल लगे होने के कारण उसे कुछ मज़ा नहीं आया तो उसने मेरा टॉप आगे से उठा कर मेरे होंठ साफ़ किए और अपने होंठ मेरे स्तनों पर टॉप के ऊपर रगड़ दिए। फिर उसने जोर दार चूमा चाटी शुरू कर दी। मैं उससे छूटने का भरसक प्रयत्न कर रही थी।

अमित ने कहा- भाभी !प्यार से प्यार करने दो ! मैंने सब देख लिया है कि कैसे आप अपने जीजू के साथ लगी हुई थी।

अब अमित के हाथ मेरे स्तनों पर जम चुके थे। वो उन्हें बुरी तरह मसल रहा था । मेरे मुंह से उई ! आ ! आहऽऽ ! की आवाजें आने लगी थी।

मेरी आवाज़ सुन कर दीदी बोली- नीतू ! क्या हुआ ! और उठ कर हमारि तरफ़ आने लगी।

दीदी की आवाज़ सुन कर अमित ने अपने हाथ मेरे टॉप में से निकाल कर मेरे चेहरे पर रख दिए।

दीदी ने पास आ कर फ़िर पूछा-क्या हुआ नीतू?

इससे पहले मैं कुछ बोलती, अमित बोल पड़ा- कुछ नहीं दीदी ! भाभी की आंख में जरा उंगली लग गई है।

और हम तीनों जीजू के पास आकर बैठ गए और सामान्य बात चीत होने लगी। पर उन तीनों की नज़रें रह रह कर मेरी ओर उठ जाती थी, जैसे कुछ पूछ रही हों ! जीजू और दीदी की नज़रें जैसे पूछ रही थी कि अमित ने कुछ ज्यादा ही तो छेड़छाड़ नहीं की ! और अमित की नज़र पूछ रही थी- भाभी ! कुछ मज़ा आया?

बात करते करते अमित ने पूछ भाभी ! आज शाम को क्या कर रही हो?

मैंने सामान्य ढंग से कह दिया- कुछ खास नहीं !

तो अमित ने कहा- कल सुमित भैया का फ़ोन आया था, कह रहे थे कि अपनी भाभी को मेरी तरफ़ से कोई उपहार दिलवा देना उसी की पसन्द का ! शाम को बाज़ार भी खुल जाएगा, आप तैयार रहना मैं चार बजे तक आपको लेने आ जाऊँगा बाज़ार ले जाने।

दीदी और मैं एक साथ ही बोल उठी- अरे ! इसकी क्या जरूरत है !

तो अमित बोला- जरूरत क्यों नहीं है एक उपहार भैया की ओर से, एक मेरी ओर से और भाभी आप भी तो मुझे कोई उपहार देंगी, देंगी ना !

मैं उसकी तरफ़ ही देख रही थी और वो मेरी आँखों में झाँक कर पूछ रहा था। उसकी आँखों में शरारत साफ़ दिख रही थी।

आखिर मुझे हाँ करनी ही पड़ी।

थोड़ी देर और बातें करने के बाद अमित जाने के लिए उठ खड़ा हुआ और कहने लगा- भाभी एक बार गले तो मिल लो होली पर !

उसकी बात में प्रार्थना कम और आदेश ज्यादा झलक रहा था। मैं उठी और उसने मुझे अपनी बाहों में ले कर भींच लिया और दीदी-जीजू के सामने ही मेरे गालों को चूम लिया।

अब अमित जा चुका था। हम तीनों बगीचे में बैठे अभी कुछ देर पहले हुए सारे घटनाक्रम के बारे में सोच रहे थे। लेकिन कोई कुछ बोल नहीं रहा था।

दीदी ने चुप्पी तोड़ी- अमित ने बहुत गलत किया ! उसने आप दोनों को देख लिया था शायद ! इसीलिए उसकी इतनी हिम्मत हुई। उसने सुमीत को या किसी को इस बारे में बता दिया तो?

नहीं ! वो किसी से नहीं कहेगा ! वो भी तो कुछ ज्यादा ही कर गया। अगर उसे किसी को बताना होता तो वो यह सब ना करता, जीजू ने कहा।

इस पर मैं फ़ूट पड़ी- जीजू ! वो ज्यादा कर गया या आप ही कुछ जरूरत से आगे बढ़ गए थे? और दीदी आप? आप भी कुछ नहीं बोली जीजू को मेरे साथ बदतमीजी करते हुए?

जीजू बोले- बदतमीजी? अरे तुम इस बदतमीजी कहती हो? ये छोटी मोटी छेड़छाड़ ना हो तो साली-जीजा के रिश्ते का मज़ा ही क्या?

मैंने जीजाजी की बात का उत्तर देते हुए कहा- तो फ़िर अमित का भी क्या कसूर ! देवर भाभी का रिश्ता भी तो हंसी-मज़ाक, छेड़छाड़ का ही होता है !

दीदी माहौल गर्म होते देख बोली- चलो छोड़ो इस बात को ! चलो ! नहा-धो लो ! फ़िर शाम को बाज़ार भी जाना है।

फ़िर हम सब नहा लिए और खाना खा कर आराम करने लगे। थोड़ी देर बाद दीदी ने चाय के लिए पूछा और वो चाय बनाने चली गई तो जीजू की फ़िर जुबान खुली- वैसे नीतू ! आज मज़ा आ गया तुम्हारी चूचियाँ चूस कर ! तुम्हें भी तो कम मज़ा नहीं आया होगा?

मैं भड़क गई- जीजू अब बस भी करो ! बहुत हो चुका !

बहुत क्या हो चुका? अभी तो लगभग सब कुछ ही बाकी है, अभी तो कुछ भी नहीं हुआ !

अच्छा तो जो बाकी रह गया है वो भी कर लो ! लो आपके सामने पड़ी हूँ ! कर लो अपने दिल की ! कहते हुए मैं जीजू के बराबर में आ गई।

जीजू ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- तुम तो गुस्सा होने लगी।

इतना कहते हुए जीजू ने मेरा हाथ सहलाना शुरू कर दिया और मुझे मनाने लगे। हाथ सहलाते सहलाते जीजू मेरे कन्धे तक पहुँच गए और अब मेरे कंधे और गर्दन पर हाथ फ़िरा रहे थे। उसके बाद मेरी और से कोई आपत्ति ना देख फ़िर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में दबोच कर मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- मेरी अच्छी नीतू !

इतने में दीदी चाय लेकर आ गई। मैंने दीदी से कहा- मम्मी को भी यहीं बुला लो !

तो दीदी ने बताया कि मम्मी सो रही हैं।

शाम को साढ़े तीन बजे अमित का फ़ोन आया, कहने लगा- भाभी ! तैयार रहना, मैं थोड़ी देर में आ रहा हूँ आपको लेने।

शाम को साढ़े तीन बजे अमित का फ़ोन आया, कहने लगा- भाभी ! तैयार रहना, मैं थोड़ी देर में आ रहा हूँ आपको लेने।

मैंने उसे कहा- दीदी और जीजू भी चलेंगे हमारे साथ, तुम एक घण्टे से पहले मत आना क्योंकि इतना समय तो लग ही जाएगा तैयार होने में!

इस पर अमित बोला- नहीं ! आप अकेले ही आएँगी मेरे साथ !

मेरे मन में शंका हुई, कहीं फ़िर कोई शरारत या कुछ और तो नहीं सोच रहा है अमित ! मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि अमित ने मुझे जीजू के साथ देख लिया था। अगर उसने कुछ बता दिया अपने घर में या सुमित को तो क्या होगा !

फ़िर मैंने आग्रह किया कि सब इकट्ठे ही चलेंगे बाज़ार ! तो वो नहीं माना और मुझे बताया कि उसके पास मुझे दिखाने के लिए कुछ है।

पर मेरे बार बार पूछने पर भी उसने बताया नहीं कि क्या है और मुझे तैयार कर ही लिया अकेले चलने के लिए। दीदी, जीजू का तो वैसे भी कोई कार्यक्रम था ही नहीं जाने का।

अमित आया और हम दोनों गाड़ी में चलने लगे तो दीदी ने अमित से कहा- ज्यादा देर मत करना, दो घण्टे तक तो आ ही जाओगे?

इससे पहले मैं कुछ बोलती, अमित ने कहा- हाँ दीदी ! कोशिश करेंगे, पर देर भी हो सकती है।

और हम चल दिए। थोड़ा ही आगे गए थे कि अमित ने मेरे बाएँ कंधे पर हाथ रख कर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे गाल पर एक चुम्मा ले लिया। मुझे बहुत बुरा लगा- यह क्या कर रहे हो अमित !

प्यार से एक चुम्मी ली है भाभी ! अच्छा बताओ कहाँ चलोगी?

तुम बताओ? कौन सी मार्केट आज खुली होगी?

अरे मार्केट का तो बाद में देखेंगे। कुछ मौज-मस्ती हो जाए ! वैसे भी गिफ़्ट तो पहले से ही है मेरे पास आपके लिए !

क्या है?

उसने अपना मोबाइल निकाला और कुछ बटन दबाए और मेरे हाथ में दे दिया।

देखो भाभी ! आपके लिए !

मैंने देखा कि उसमें जीजू और मेरा होली का छेड़छाड़ की वीडियो थी। मैं तो सन्न रह गई। लगभग तीन मिनट की वीडियो होगी वह।

क्यों भाभी ? कैसी लगी मूवी?

मेरे मुँह में जैसे बोल ही नहीं रहा था। मैंने अमित की ओर देखा तो वो मुझे ही देख रहा था और हमारी नज़रें मिलते ही उसने मुझे फ़िर अपनी ओर खींच कर मेरे होंठ चूम लिए और उसका एक हाथ मेरी जांघ पर आ गया। मैंने जींस पहनी हुई थी। वो एक हाथ से गाड़ी सम्भाल रहा था और दूसरे हाथ से मेरी जांघ। मैंने उसका हाथ हटाने की कोशिश की तो बोला- भाभी किसी होटल में कमरा ले लेते हैं।

मेरी समझ में सब आ चुका था। अमित मुझे ब्लैकमेल कर रहा था और इस वीडियो का फ़ायदा उठाना चाह रहा था। मैं फ़ंस चुकी थी। किसी तरह से हिम्मत जुटा कर मैंने अमित से कहा- प्लीज़ अमित ! इस वीडियो को डीलीट कर दो !

अरे भाभी ! इसमें ऐसा क्या है जो तुम डर रही हो। मुझे तुम्हारा और तुम्हारे जीजू का खेल अच्छा लगा तो रिकॉर्ड कर लिया, बस !

चलो अब किसी होटल में जाकर हम भी ऐसे ही कुछ खेलते हैं !

अमित ! क्या कह रहे हो? मैं तुम्हारी होने वाली भाभी हूँ ! तुम्हें शर्म आनी चाहिए !

भाभी ! जब आपको शर्म नहीं तो मुझे काहे की शर्म? आप तो अपने जीजू के साथ खूब मौज-मस्ती कर रही थी ! खूब ऐश की होगी जीजू से अपने? पहली बार का मज़ा अपने जीजू को दिया या किसी यार से लुटवा ली अपनी जवानी?

अमित ! तुम्हें पता है कि तुम क्या बके जा रहे हो? गाड़ी रोको ! मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ कहीं भी !

नीतू डीयर ! अब तुम अपनी मर्ज़ी से नहीं मेरी मर्ज़ी पर चलोगी।

अमित आप से तुम पर उतर आया था।

बता ना ! किससे अपनी चूत का उदघाटण करवाया?

मैंने यह सुन कर अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया और मेरे आँसू छलक पड़े। मैं सुबक पड़ी। इतनी अश्लील भाषा तो मैंने कभी सुनी ही नहीं थी।

अमित ने खाली सड़क देख गाड़ी एक तरफ़ लगाई और मेरे दोनों हाथ अपने दोनों हाथों में ले कर मुझे अपनी तरफ़ खींचा और मेरे गालों पर से मेरे आँसू अपनी जीभ से चाट लिए। मैंने पीछे हटने की कोशिश की मगर अमित ने और मज़बूती से मुझे पकड़ कर अपने ऊपर गिरा सा लिया और कहा- ज्यादा नखरे मत कर ! अगर ना-नुकर की तो अभी यह वीडियो सुमित को भेज दूंगा।

इतना कह कर अमित ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूमते चूमते मेरे होंठ ऐसे चूसने लगा जैसे कोई फ़ल खा रहा हो। अब तक उसका एक हाथ मेरे शर्ट में जाकर मेरे स्तनों से खेलने लगा। मैं रोने लगी थी। पर मैंने अपने आप को अमित के हवाले कर दिया। मेरा विरोध ढीला पड़ते देख अमित ने भी थोड़ी नरमी दिखाई और मुझे छोड़ दिया और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर पैन्ट के ऊपर ही रख लिया। मैंने फ़िर अपना हाथ पीछे खींच लिया। अब अमित कुछ नहीं बोला और गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी।

थोड़ा चलने के बाद अमित बोला- नीतू ! तुम इतने नखरे क्यों दिखा रही हो। तुम्हारे जीजा को तुम्हारे साथ देख कर मैं तो समझा था कि तुम आसानी से मान जाओगी, तुम तो ऐसे नखरे दिखा रही हो जैसे कोई कुँवारी कन्या हो।

मुझे डर भी लग रहा था और गुस्सा भी आ रहा था। मेरे मुंह से गुस्से में निकल गया- तुमने क्या मुझे कोई चालू लड़की समझ लिया है?

मैं अभी तक तुम्हारी हरकतें सह रही हूँ सिर्फ़ इस वीडियो के कारण ! जीजा-साली और देवर-भाभी के रिश्ते में यह सब थोड़ा बहुत चलता ही है और तुमने इसका गलत मतलब निकाला। ये रिश्ते बने ही इस तरह से हैं कि साली अपने जीजा से और देवर अपनी भाभी से हंसी मज़ाक में ही काफ़ी कुछ सीख सके। इसका मतलब यह नहीं कि वो सीमा ही लांघ जाएँ ! मैं मानती हूँ कि जो तुमने आज मेरे जीजाजी को मेरे साथ होली खेलते देखा वो इन पवित्र रिश्तों की सीमा का सरासर उल्लंघन था, पर जो तुमने किया उसमें क्या तुमने अपनी मर्यादा का ध्यान रखा?

अरे ! साली को तो आधी घरवाली कहा भी जाता है लेकिन हमारे हिन्दू समाज़ में भाभी को तो माँ तक का दर्ज़ा दिया गया है। भाभी तो एक ऐसी माँ की तरह होती है जिससे आप वो बात भी कर सकते हो जो अपनी माँ से कहते हुए हिचकते हो। भाभी तो एक माँ और एक दोस्त का मिलाजुला रूप है।

इसी प्रकार मैं ना जाने क्या क्या बोल गई अमित के सामने और वो चुपचाप सामने सड़क पर नज़र गड़ाए मेरी बात सुनता रहा और गाड़ी चलाता रहा। उसकी आँखों की नमी मैं देख पा रही थी।

अचानक उसने खाली सड़क देख कर गाड़ी रोकी और झुक कर मेरे पैरों की तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए बोला- भाभी ! मुझे माफ़ कर दो ! जब मैंने आपको होली खेलते देखा तो पहले तो मुझे भी बहुत गुस्सा आया आपको उस हालत में देख कर, फ़िर मैंने सोचा कि चलो मैं भी बहती गंगा में हाथ धो लूँ ! मगर आप तो गंगा की तरह निकली जो अपने में मेरे और आपके जीजू जैसी गंदगी समेट कर भी पवित्र बनी हुई है।

नहीं अमित ! तुमने तो मुझे देवी बना दिया, काफ़ी हद तक गलती मेरी भी थी, मुझे जीजू को उसी समय रोकना चाहिए था जब वो अपनी हद पार करने लगे थे। मैं भी एक इन्सान हूँ, एक लड़की हूँ, उस वक्त मेरी अन्तर्वासना भी कुछ हद तक जागृत हो गई थी, इसी कारण मैं चाह कर भी जीजू और फ़िर तुम्हें वो सब करने से रोक नहीं पाई जो नहीं होना चाहिए था।

लेकिन जब तुमने मेरे साथ जबरदस्ती करने की और मुझे ब्लैक-मेल करने की कोशिश की तो मैं अपनी वासना से जागी।

मैं बोलती जा रही थी और अमित की आँखों से आँसू टप-टप गिर रहे थे। आत्म-ग्लानि उसे खाए जा रही थी। मैंने उसे इस तरह रोते देखा तो मेरा मन उसकी ओर से साफ़ हो गया और मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आँसू पौंछते हुए उसे कहा अब जो हो चुका उसे भूल जाओ और चलो बाज़ार, मुझे अपना उपहार भी तो लेना है !

इतना सुनते ही अमित बिलख उठा और उसने मेरी गोद में अपना सिर रख दिया। उसके मुँह से बार बार यही शब्द निकल रहे थे- भाभी, मुझे माफ़ कर दो भाभी, मुझे माफ़ कर दो !

मेरी आंखे भी गंगा-जमना की तरह बह रही थी। मैंने उसका सर ऊपर किया और अपने गले से लगा लिया।

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